#बाल-मन, #सुब्रत आनंद बाल हठ - बाल कविता ( सुब्रत आनंद ) बाल हठ सब साथी तैयार खड़े थे कुछ छोटे कुछ बहुत बड़े थे जाने थे हम सबको मेले मस्ती करते खाते केले कहते साथी चल जल्दी से माँगो पैसे माँ- दीदी से नहीं दे रहे कोई अप्रैल 04, 2023 शेयर करें
#कविता, #सुब्रत आनंद इस दुनिया को गुलाब कर दूँ क्या ? हर जगह दंगे हर जगह लफ़ड़े... मैं भी बवाल कर दूँ क्या..?? लोग मारने- मिटाने पर लगे हैं इनके विरुद्ध इंकलाब कर दूँ क्या..? इंसान होकर जानवर सा व्यवहार आज इंसान सितंबर 23, 2022 शेयर करें
#कविता, #सुब्रत आनंद भूमिपुत्र किसान हैं हम धरा- धरती की शान हैं हम भूमि- पुत्र का नाम हैं हम सबकी भूख मिटाते हम फिर भी आधी खाते हम ये कैसी बदहाली छाई है क्यों ऐसी बेहाली आई है लाख आये विपदा मगर छोड़ते सितंबर 22, 2022 शेयर करें
#गीत, #सुब्रत आनंद अपने अभिलाषाओं में तुम, मत इनका बचपन झोंको अपने अभिलाषाओं में तुम, मत इनका बचपन झोंको है करबद्ध निवेदन इतना, इस कुकृत्य को तुम रोको 🌹 १ 🌹 अभी तो वय हुई है इनकी, खेलने और खाने की क्य सितंबर 22, 2022 शेयर करें
#कविता, #सुब्रत आनंद प्यार के रंग सा दूजा कोई नहीं रंग देखा बहुत इसको जाना बहुत प्यार के रंग सा दूजा कोई नहीं हो कर मायूस बैठा था मोड़ पर बिन प्यार दुनिया जैसे है हीं नहीं कर दो सराबोर प्यार के रंग से तुम ह सितंबर 21, 2022 शेयर करें
#गीत, #सुब्रत आनंद सुनो सब कुछ है स्वीकार मुझे तुम समझ सके न मूल्य प्रेम का, तुझे दिखा दगा बस दगा प्रिये जब हृदय में ही प्रेम नहीं तो, सुनो सब कुछ है स्वीकार मुझे एकाकी भरे जीवन में जब, मिला तेरा मुझ सितंबर 21, 2022 शेयर करें
#ग़ज़ल, #सुब्रत आनंद आज मुझको नहीं है खबर ज़िंदगी आज मुझको नहीं है ख़बर जिंदगी लग गयी है मुझे ज्यों नज़र जिंदगी हूँ परेशां बहुत क्या करूँ क्या नहीं? खत्म होने लगी है सफ़र जिंदगी अब सुहाता नहीं है मुझे ये जहा सितंबर 21, 2022 शेयर करें
#ग़ज़ल, #सुब्रत आनंद हूँ नहीं मैं बोझ पापा बेटियाँ कहती रही कुछ हुआ तो था बुरा...सरगोशियाँ कहती रही हूँ नहीं मैं बोझ पापा...बेटियाँ कहती रही हम चढ़े जितने शिखर पर...छूट सब अपने गए क्यों नहीं पीछे मुड़े...तन्हाईयाँ क सितंबर 21, 2022 शेयर करें
#कविता, #सुब्रत आनंद जिन्दगी - सुब्रत आनंद तुम देख सकते हो, हमारे अंदर की तन्हाई जो बसी हुई है जन्म- जन्मांतर से हमारे हृदय की गहराइयों में, एक लंबी टीस सी खा रही हमें भीतर ही भीतर उससे जल्द ही पाना ह सितंबर 05, 2021 शेयर करें
#दोहा, #सुब्रत आनंद गुरुदेव के चरणों में... पहले गुरु माता- पिता, वंदन शीश झुकाय। बिन इनके संभव नहीं, जीवन सुख है पाय।। नमन उन्हें जो दे गए, जीवन का हर मर्म । चलूँ सदा मैं नेक पथ, करूँ नेक मैं सितंबर 22, 2019 शेयर करें
#दोहा, #सुब्रत आनंद कुछ दोहे... सपने होते सच वही, दिखें जो खुली आँख पंछी उड़ते तब तलक, जब तक रहते पाँख...!! बचपन के वो दिन कहाँ, बस उसकी है याद वो गाँव की मस्तियाँ, मिली न उसके बाद.. सितंबर 21, 2019 शेयर करें
#दोहा, #सुब्रत आनंद वेदना किससे कहें..? नैनों में चुभने लगा, जैसे कोई तीर कैसे किसको हम कहें, अपने मन की पीर..!! जीवन के हर मोड़ पर, दोगे मेरा साथ फिर क्यों तूने थाम ली, अब दूजे का हाथ..? रोग लग सितंबर 19, 2019 1 शेयर करें