प्यार के रंग सा दूजा कोई नहीं

 


 रंग देखा बहुत इसको जाना बहुत
प्यार के रंग सा दूजा कोई नहीं

हो कर मायूस बैठा था मोड़ पर
बिन प्यार दुनिया जैसे है हीं नहीं

कर दो सराबोर प्यार के रंग से तुम
होली सा पावन दिन कोई नहीं

बना दो रंगोली तुम मेरे जीवन में
बिन रंग जीवन में रस हीं नहीं

भूल कर सब कुछ प्यार बरसाओ तुम
इस नफरत में रखा कुछ भी नहीं

बात इतनी ही गाँठ बांध ले"सुब्रत"
प्यार ही हो जीवन में बाकि कुछ भी नहीं...!!!

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