हूँ नहीं मैं बोझ पापा बेटियाँ कहती रही











कुछ हुआ तो था बुरा...सरगोशियाँ कहती रही

हूँ नहीं मैं बोझ पापा...बेटियाँ कहती रही


हम चढ़े जितने शिखर पर...छूट सब अपने गए

क्यों नहीं पीछे मुड़े...तन्हाईयाँ कहती रही


मौत क्यों आती नहीं तू...कर रहा हूँ मन्नतें

है नहीं ये अंश तेरे...रोटियाँ कहती रही


हो भला सबका यही मैं ...कर रहा था कोशिशें

क्या मिला तुझको बता दे..सिसकियाँ कहती रही


था मुझे इतना यकीं की..ये वफ़ा है काम की

आज हासिल क्या हुआ...रुसवाईयाँ कहती रही


आज भी शामिल है मुझमें बचपना वो मस्तियाँ

तुम इसे रखना सलामत...शोखियाँ कहती रही


माँ बिना कुछ भी न भाता है मुझे अब तो "सिफ़र"

साथ तेरे हूँ सदा परछाइयाँ कहती रही..!!


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